पुस्तकप्रत्ययाधीतं नाधीतं गुरुसन्निधौ । सभामध्ये न शोभन्ते जारगर्भा इव स्त्रियः ॥
Change Bhasha
pustakapratyayādhītaṃ nādhītaṃ gurusannidhau | sabhāmadhye na śobhante jāragarbhā iva striyaḥ ||
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The scholar who has acquired knowledge by studying innumerable books without the blessings of a bonafide spiritual master does not shine in an assembly of truly learned men just as an illegitimate child is not honoured in society.
English Translation
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ॐ
वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है. उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती.
Hindi Translation
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