सर्वकर्माणि मनसा संन्यस्यास्ते सुखं वशी | नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन् || 13||
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sarva-karmāṇi manasā sannyasyāste sukhaṁ vaśhī nava-dvāre pure dehī naiva kurvan na kārayan
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जिसकी इन्द्रियाँ वशमें हैं ऐसा देहधारी पुरुष नौ द्वारोंवाले शरीररूपी पुरमें सम्पूर्ण कर्मोंका विवेकपूर्वक मनसे त्याग करके निःसन्देह न करता हुआ और न करवाता हुआ सुखपूर्वक (अपने स्वरूपमें) स्थित रहता है।
Hindi Translation
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The embodied beings who are self-controlled and detached reside happily in the city of nine gates free from thoughts that they are the doers or the cause of anything.
English Translation
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