तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः। वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2.61।।
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tāni sarvāṇi sanyamya yukta āsīta mat-paraḥ vaśhe hi yasyendriyāṇi tasya prajñā pratiṣhṭhitā
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कर्मयोगी साधक उन सम्पूर्ण इन्द्रियोंको वशमें करके मेरे परायण होकर बैठे क्योंकि जिसकी इन्द्रियाँ वशमें हैं उसकी बुद्धि प्रतिष्ठित है।
Hindi Translation
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They are established in perfect knowledge, who subdue their senses and keep their minds ever absorbed in me.
English Translation
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