ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ৷৷15.1৷৷
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śrī bhagavānuvāca ūrdhvamūlamadhaḥśākhamaśvatthaṅ prāhuravyayam. chandāṅsi yasya parṇāni yastaṅ vēda sa vēdavit৷৷15.1৷৷
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श्री भगवान ने कहा - हे अर्जुन! इस संसार को अविनाशी वृक्ष कहा गया है, जिसकी जड़ें ऊपर की ओर हैं और शाखाएँ नीचे की ओर तथा इस वृक्ष के पत्ते वैदिक स्तोत्र है, जो इस अविनाशी वृक्ष को जानता है वही वेदों का जानकार है। ৷৷15.1৷৷
Hindi Translation
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