विप्रो वृक्षस्तस्य मूलं च सन्ध्या वेदः शाखा धर्मकर्माणि पत्रम् । तस्मान्मूलं यत्नतो रक्षणीयं छिन्ने मूले नैव शाखा न पत्रम् ॥
Change Bhasha
vipro vṛkṣastasya mūlaṃ ca sandhyā vedaḥ śākhā dharmakarmāṇi patram | tasmānmūlaṃ yatnato rakṣaṇīyaṃ chinne mūle naiva śākhā na patram ||
The brahmana is like tree; his prayers are the roots, his chanting of the Vedas are the branches, and his religious act are the leaves Consequently effort should be made to preserve his roots for if the roots are destroyed there can be no branches or leaves.
- Hem
English Translation
ब्राह्मण एक वृक्ष के समान है. उसकी प्रार्थना ही उसका मूल है. वह जो वेदों का गान करता है वही उसकी शाखाए है. वह जो पुण्य कर्म करता है वही उसके पत्ते है. इसीलिए उसने अपने मूल को बचाना चाहिए. यदि मूल नष्ट हो जाता है तो शाखाये भी ना रहेगी और पत्ते भी.
- HEM
Hindi Translation