व्यालाश्रयापि विकलापि सकण्टकापि वक्रापि पङ्किलभवापि दुरासदापि । गन्धेन बन्धुरसि केतकि सर्वजन्ता रेको गुणः खलु निहन्ति समस्तदोषान् ॥
Change Bhasha
vyālāśrayāpi vikalāpi sakaṇṭakāpi vakrāpi paṅkilabhavāpi durāsadāpi | gandhena bandhurasi ketaki sarvajantā reko guṇaḥ khalu nihanti samastadoṣān ||
हे केतकी पुष्प! तुममे तो कीड़े रहते है. तुमसे ऐसा कोई फल भी नहीं बनता जो खाया जाय. तुम्हारे पत्ते काटो से ढके है. तुम टेढ़े होकर बढ़ते हो. कीचड़ में खिलते हो. कोई तुम्हे आसानी से पा नहीं सकता. लेकिन तुम्हारी अतुलनीय खुशबु के कारण दुसरे पुष्पों की तरह सभी को प्रिय हो. इसीलिए एक ही अच्छाई अनेक बुराइयों पर भारी पड़ती है.
Hindi Translation
O ketki flower! Serpents live in your midst, you bear no edible fruits, your leaves are covered with thorns, you are crooked in growth, you thrive in mud, and you are not easily accessible. Still for your exceptional fragrance you are as dear as a kinsmen to others. Hence, a single excellence overcomes a multitude of blemishes.
English Translation