यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
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yadā yadā hi dharmasya glānirbhavati bhārata. abhyutthānamadharmasya tadā৷৷tmānaṅ sṛjāmyaham৷৷4.7৷৷
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हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥7॥
Hindi Translation
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जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म अपना सिर ऊँचा करता है, तब-तब मैं अपने रूप को स्थापित करता हूँ।
Hindi Translation
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Whenever there is a decline of righteousness and a rise of unrighteousness, I manifest Myself to restore balance and uphold justice. Whenever there is injustice, disorder, immorality, and irregularity in society, I come forth in My power to remove it and re-establish righteousness.
English Translation
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