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यस्य चित्तं द्रवीभूतं कृपया सर्वजन्तुषु । तस्य ज्ञानेन मोक्षेण किं जटाभस्मलेपनैः ॥

Change Bhasha

yasya cittaṃ dravībhūtaṃ kṛpayā sarvajantuṣu | tasya jñānena mokṣeṇa kiṃ jaṭābhasmalepanaiḥ ||

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For one whose heart melts with compassion for all creatures; what is the necessity of knowledge, liberation, matted hair on the head, and smearing the body with ashes.

 

English Translation

वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से पिघलता है. उसे जरुरत क्या है किसी ज्ञान की, मुक्ति की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शारीर पर राख मलने की.

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः