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यथाकाशस्थितो नित्यं वायु: सर्वत्रगो महान् | तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय || 6||

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yathākāśha-sthito nityaṁ vāyuḥ sarvatra-go mahān tathā sarvāṇi bhūtāni mat-sthānītyupadhāraya

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जैसे सर्वत्र विचरण करने वाली महान् वायु सदा आकाश में स्थित रहती हैं? वैसे ही सम्पूर्ण भूत मुझमें स्थित हैं? ऐसा तुम जानो।

Hindi Translation

Know that as the mighty wind blowing everywhere rests always in the sky, likewise all living beings always rest in Me.

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः