आब्रह्मस्तंबपर्यन्तं अहमेवेति निश्चयी। निर्विकल्पः शुचिः शान्तः प्राप्ताप्राप्तविनिर्वृतः॥११- ७॥
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ābrahmastaṃbaparyantaṃ ahameveti niścayī, nirvikalpaḥ śuciḥ śāntaḥ prāptāprāptavinirvṛtaḥ
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तृण से लेकर ब्रह्मा तक सब कुछ मैं ही हूँ, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला विकल्प (कामना) रहित, पवित्र, शांत और प्राप्त-अप्राप्त से आसक्ति रहित हो जाता है ॥
Hindi Translation
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From grass till Brahma, I alone exist and nothing else. One who knows it with definiteness becomes free from desires, becomes pure, peaceful and unattached to what he has or what he is yet to get.
English Translation
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