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आब्रह्मस्तंबपर्यन्ते भूतग्रामे चतुर्विधे। विज्ञस्यैव हि सामर्थ्य- मिच्छानिच्छाविवर्जने॥४- ५॥

Change Bhasha

ābrahmastaṃbaparyante bhūtagrāme caturvidhe, vijñasyaiva hi sāmarthya- micchānicchāvivarjane

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ब्रह्मा से तृण तक, चारों प्रकार के प्राणियों में केवल आत्मज्ञानी ही इच्छा और अनिच्छा का परित्याग करने में समर्थ है ॥

Hindi Translation

From Brahma down to the grass, in all four categories of living creatures, who else can give up desire and aversion except an enlightened man.

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः