अहं स शुक्तिसङ्काशो रूप्यवद् विश्वकल्पना। इति ज्ञानं तथैतस्य न त्यागो न ग्रहो लयः॥६- ३॥
Change Bhasha
ahaṃ sa śuktisaṅkāśo rūpyavad viśvakalpanā, iti jñānaṃ tathaitasya na tyāgo na graho layaḥ
0
यह विश्व मुझमें वैसे ही कल्पित है जैसे कि सीप में चाँदी। यह ज्ञान है, इसका न त्याग करना है और न ग्रहण बस इसके साथ एकरूप होना है॥
Hindi Translation
…
This world is imagined in me like silver in a sea-shell. This is Knowledge. This is neither to be renounced nor to be accepted but to be one with it.
English Translation
…