अहो अहं नमो मह्यं दक्षो नास्तीह मत्समः। असंस्पृश्य शरीरेण येन विश्वं चिरं धृतम्॥२-१३॥
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aho ahaṃ namo mahyaṃ dakṣo nāstīha matsamaḥ, asaṃspṛśya śarīreṇa yena viśvaṃ ciraṃ dhṛtam
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आश्चर्य है, मुझको नमस्कार है, जो कुशल है और जिसके समान कोई और नहीं है, जिसने इस शरीर को बिना स्पर्श करते हुए इस विश्व को अनादि काल से धारण किया हुआ है ॥
Hindi Translation
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Amazing! Salutations to me who is skilled and there is no one else like him, who without even touching this body, holds all the world.
English Translation
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