अहो अहं नमो मह्यं यस्य मे नास्ति किंचन। अथवा यस्य मे सर्वं यद् वाङ्मनसगोचरम्॥२-१४॥
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aho ahaṃ namo mahyaṃ yasya me nāsti kiṃcana, athavā yasya me sarvaṃ yad vāṅmanasagocaram
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आश्चर्य है, मुझको नमस्कार है, जिसका यह कुछ भी नहीं है अथवा जो भी वाणी और मन से समझ में आता है वह सब जिसका है ॥
Hindi Translation
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Amazing! Salutations to me who either does not possess anything or possesses anything that could be referred by speech and mind.
English Translation
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