अकर्तृत्वमभोक्तृत्वं स्वात्मनो मन्यते यदा। तदा क्षीणा भवन्त्येव समस्ताश्चित्तवृत्तयः॥१८- ५१॥
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akartṛtvamabhoktṛtvaṃ svātmano manyate yadā, tadā kṣīṇā bhavantyeva samastāścittavṛttayaḥ
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जब साधक अपने आपको अकर्ता और अभोक्ता निश्चय कर लेता है तब उसके चित्त की सभी वृत्तियाँ क्षीण हो जाती हैं ॥
Hindi Translation
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When one sees oneself as neither the doer nor the reaper of the consequences, then all mind waves come to an end .
English Translation
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