अकुर्वन्नपि संक्षोभाद् व्यग्रः सर्वत्र मूढधीः। कुर्वन्नपि तु कृत्यानि कुशलो हि निराकुलः॥१८- ५८॥
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akurvannapi saṃkṣobhād vyagraḥ sarvatra mūḍhadhīḥ, kurvannapi tu kṛtyāni kuśalo hi nirākulaḥ
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अज्ञानी पुरुष कुछ न करते हुए भी क्षोभवश सदा व्यग्र ही रहता है । योगी पुरुष बहुत से कार्य करता हुआ भी शांत रहता है ॥
Hindi Translation
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Even when doing nothing the fool is agitated by restlessness, while a skillful man remains undisturbed even when doing what there is to do .
English Translation
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