आपदः संपदः काले दैवादेवेति निश्चयी। तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वान्छति न शोचति॥११- ३॥
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āpadaḥ saṃpadaḥ kāle daivādeveti niścayī, tṛptaḥ svasthendriyo nityaṃ na vānchati na śocati
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संपत्ति (सुख) और विपत्ति (दुःख) का समय प्रारब्धवश (पूर्व कृत कर्मों के अनुसार) है, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला संतोष और निरंतर संयमित इन्द्रियों से युक्त हो जाता है । वह न इच्छा करता है और न शोक ॥
Hindi Translation
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Good and bad times are due to previous actions (which decide fate). One who knows it with definiteness becomes content and gains regular control on senses. He neither desires nor gets disappointed.
English Translation
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