...

अर्जयित्वाखिलान् अर्थान् भोगानाप्नोति पुष्कलान्। न हि सर्वपरित्याजम- न्तरेण सुखी भवेत्॥१८- २॥

Change Bhasha

arjayitvākhilān arthān bhogānāpnoti puṣkalān, na hi sarvaparityājama- ntareṇa sukhī bhavet

0

जगत के सभी पदार्थों को प्राप्त  करके कोई बहुत से भोग प्राप्त कर सकता है पर उन सबका आतंरिक त्याग किये बिना सुखी नहीं हो सकता ॥

Hindi Translation

One may indulge in all sorts of pleasure by acquiring various objects of enjoyment, but one cannot be truly happy without their inner renunciation.

English Translation

Built in Kashi for the World

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः