असमाधेरविक्षेपान् न मुमुक्षुर्न चेतरः। निश्चित्य कल्पितं पश्यन् ब्रह्मैवास्ते महाशयः॥१८- २८॥
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asamādheravikṣepān na mumukṣurna cetaraḥ, niścitya kalpitaṃ paśyan brahmaivāste mahāśayaḥ
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ऐसा ज्ञानी समाधि में आग्रह न होने के कारण मुमुक्षु नहीं और विक्षेप न होने के कारण विषयी नहीं है । मेरे अतिरिक्त जो कुछ भी दिख रहा है वह सब कल्पित ही है - ऐसा निश्चय करके सबको देखता हुआ वह ब्रह्म ही है ॥
Hindi Translation
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He who is beyond mental stillness and distraction, does not desire either liberation or anything else. Recognising that things are just constructions of the imagination, that great soul lives as God here and now .
English Translation
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