आत्मैवेदं जगत्सर्वं ज्ञातं येन महात्मना। यदृच्छया वर्तमानं तं निषेद्धुं क्षमेत कः॥४- ४॥
Change Bhasha
ātmaivedaṃ jagatsarvaṃ jñātaṃ yena mahātmanā, yadṛcchayā vartamānaṃ taṃ niṣeddhuṃ kṣameta kaḥ
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जिस महापुरुष ने स्वयं को ही इस समस्त जगत के रूप में जान लिया है, उसके स्वेच्छा से वर्तमान में रहने को रोकने की सामर्थ्य किसमें है ॥
Hindi Translation
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Who can prevent a great man from living in the present as per his wish as he knows himself as this whole world.
English Translation
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