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बहुनात्र किमुक्तेन ज्ञाततत्त्वो महाशयः। भोगमोक्षनिराकांक्षी सदा सर्वत्र नीरसः॥१८- ६८॥

Change Bhasha

bahunātra kimuktena jñātatattvo mahāśayaḥ, bhogamokṣanirākāṃkṣī sadā sarvatra nīrasaḥ

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बहुत कहने से क्या लाभ? महात्मा पुरुष भोग और मोक्ष दोनों की इच्छा नहीं करता और सदा-सर्वत्र रागरहित होता है ॥

Hindi Translation

In brief, the great- souled man who has come to know the Truth is without desire for either pleasure or liberation, and is always and everywhere free from attachment .

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः