भावस्य भावकः कश्चिन् न किंचिद् भावकोपरः। उभयाभावकः कश्चिद् एवमेव निराकुलः॥१८- ४२॥
Change Bhasha
bhāvasya bhāvakaḥ kaścin na kiṃcid bhāvakoparaḥ, ubhayābhāvakaḥ kaścid evameva nirākulaḥ
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कोई पदार्थ की सत्ता की भावना करता है और कोई पदार्थों की असत्ता की । ज्ञानी तो भाव-अभाव दोनों की भावना को छोड़कर निश्चिन्त रहता है ॥
Hindi Translation
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Some think that something exists, and others that nothing does. Rare is the man who does not think either, and is thereby free from distraction .
English Translation
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