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भवोऽयं भावनामात्रो न किंचित् परमर्थतः। नास्त्यभावः स्वभावनां भावाभावविभाविनाम्॥१८- ४॥

Change Bhasha

bhavoʼyaṃ bhāvanāmātro na kiṃcit paramarthataḥ, nāstyabhāvaḥ svabhāvanāṃ bhāvābhāvavibhāvinām

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यह संसार केवल एक भावना मात्र है, परमार्थतः कुछ भी नहीं है । भाव और अभाव के रूप में स्वभावतः स्थित पदार्थों का कभी अभाव नहीं हो सकता ॥

Hindi Translation

This existence is just imagination. It is nothing in reality, but there is no non-being for natures that know how to distinguish being from non being .

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः