भ्रमभृतमिदं सर्वं किंचिन्नास्तीति निश्चयी। अलक्ष्यस्फुरणः शुद्धः स्वभावेनैव शाम्यति॥१८- ७०॥
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bhramabhṛtamidaṃ sarvaṃ kiṃcinnāstīti niścayī, alakṣyasphuraṇaḥ śuddhaḥ svabhāvenaiva śāmyati
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यह सम्पूर्ण दृश्य जगत भ्रम मात्र है, यह कुछ नहीं है - ऐसे निश्चय से युक्त पुरुष दृश्य की स्फूर्ति से भी रहित हो जाता है और स्वभाव से ही शांत हो जाता है ॥
Hindi Translation
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The pure man who has experienced the Indescribable attains peace by his own nature, realizing that all this is nothing but illusion, and that nothing is .
English Translation
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