brah.ma
/shlok/bodhamatro-hamajnanad-upadhi-kalpito-maya/बोधमात्रोऽहमज्ञानाद् उपाधिः कल्पितो मया। एवं विमृशतो नित्यं निर्विकल्पे स्थितिर्मम॥ २-१७॥
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bodhamātroʼhamajñānād upādhiḥ kalpito mayā, evaṃ vimṛśato nityaṃ nirvikalpe sthitirmama
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मैं केवल ज्ञान स्वरुप हूँ, अज्ञान से ही मेरे द्वारा स्वयं में अन्य गुण कल्पित किये गए हैं, ऐसा विचार करके मैं सनातन और कारणरहित रूप से स्थित हूँ ॥
Hindi Translation
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I am of the nature of light only, due to ignorance I have imagined other attributes in me. By reasoning thus, I exist eternally and without cause .
English Translation
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