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brah.ma
/shlok/dhiro-lokaviparyasto-vartamano-pi-lokavat/

धीरो लोकविपर्यस्तो वर्तमानोऽपि लोकवत्। नो समाधिं न विक्षेपं न लोपं स्वस्य पश्यति॥१८- १८॥

Change Bhasha

dhīro lokaviparyasto vartamānoʼpi lokavat, no samādhiṃ na vikṣepaṃ na lopaṃ svasya paśyati

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तत्त्वज्ञ तो सांसारिक लोगों से उल्टा ही होता है, वह सामान्य लोगों जैसा व्यवहार करता हुआ भी अपने स्वरुप में न समाधि  देखता है, न विक्षेप और न लय ही ॥

Hindi Translation

The wise man, unlike the worldly man, does not see inner stillness, distraction or fault in himself, even when living like a worldly man .

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः