एकाग्रता निरोधो वा मूढैरभ्यस्यते भृशं। धीराः कृत्यं न पश्यन्ति सुप्तवत्स्वपदे स्थिताः॥१८- ३३॥
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ekāgratā nirodho vā mūḍhairabhyasyate bhṛśaṃ, dhīrāḥ kṛtyaṃ na paśyanti suptavatsvapade sthitāḥ
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मूढ़ पुरुष बार-बार (चित्त की ) एकाग्रता और निरोध का अभ्यास करते हैं । धीर पुरुष सुषुप्त के समान अपने स्वरूप में स्थित रहते हुए कुछ भी कर्तव्य रूप से नहीं करते ॥
Hindi Translation
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The ignorant make a great effort to practice one-pointedness and the stopping of thought, while the wise see nothing to be done and remain in themselves like those asleep .
English Translation
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