गौरवं प्राप्यते दानात न तु वित्तस्य संचयात् ।
स्थितिः उच्चैः पयोदानां पयोधीनाम अधः स्थितिः ॥

gauravaṃ prāpyate dānāta na tu vittasya saṃcayāt |
sthitiḥ uccaiḥ payodānāṃ payodhīnāma adhaḥ sthitiḥ ||

13
1

वित्त के संचय से नहीं अपितु दान से गौरव प्राप्त होता है। जल देनेवाले बादलों का स्थान उच्च है, जब की जल का संचय करने वाले सागर का स्थान नीचे है।

Dignity is obtained by donating, not by accumulating wealth. The clouds that give away water stand high, whereas the sea that just gathers it stays low.

धन संपत्ति को अच्छे उद्देश्य के हेतु दान करने से ही एक धनवान व्यक्ति समाज में आदर और प्रसंशा पाता है न कि उसका सञ्च्य मात्र करने से | उदाहरणार्थ एक जल से भरा हुआ बादल अपने जल को पृथ्वी पर वितरित करने के कारण उसकी स्थिति उच्च मानी जाती है न कि सागर की जो केवल जल का मात्र संग्रहकर्ता होने के कारण निम्न स्थिति का समझा जाता है |

Share this Shlok
or

Know more about your Dev(i)

Trending Shloka

Sanskrit Subhashitani

गौरवं प्राप्यते दानात न तु वित्तस्य संचयात् ।
स्थितिः उच्चैः पयोदानां पयोधीनाम अधः स्थितिः ॥

gauravaṃ prāpyate dānāta na tu vittasya saṃcayāt |
sthitiḥ uccaiḥ payodānāṃ payodhīnāma adhaḥ sthitiḥ ||

वित्त के संचय से नहीं अपितु दान से गौरव प्राप्त होता है। जल देनेवाले बादलों का स्थान उच्च है, जब की जल का संचय करने वाले सागर का स्थान नीचे है।
Dignity is obtained by donating, not by accumulating wealth. The clouds that give away water stand high, whereas the sea that just gathers it stays low.
धन संपत्ति को अच्छे उद्देश्य के हेतु दान करने से ही एक धनवान व्यक्ति समाज में आदर और प्रसंशा पाता है न कि उसका सञ्च्य मात्र करने से | उदाहरणार्थ एक जल से भरा हुआ बादल अपने जल को पृथ्वी पर वितरित करने के कारण उसकी स्थिति उच्च मानी जाती है न कि सागर की जो केवल जल का मात्र संग्रहकर्ता होने के कारण निम्न स्थिति का समझा जाता है |

@beLikeBrahma

website - brah.ma

Join Brahma

Learn Sanatan the way it is!