ज्ञानाद् गलितकर्मा यो लोकदृष्ट्यापि कर्मकृत्। नाप्नोत्यवसरं कर्मं वक्तुमेव न किंचन॥१८- ७७॥
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jñānād galitakarmā yo lokadṛṣṭyāpi karmakṛt, nāpnotyavasaraṃ karmaṃ vaktumeva na kiṃcana
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ज्ञान से जिसका कर्म-बंधन नष्ट हो गया है, वह लौकिक रूप से कर्म करता रहे तो भी उसके कुछ करने या कहने का अवसर नहीं रहता (क्योंकि वह अकर्ता और अवक्ता है) ॥
Hindi Translation
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Though in the eyes of the world he is active, the man who has shed action through knowledge finds no means of doing or speaking anything .
English Translation
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