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कस्यापि तात धन्यस्य लोकचेष्टावलोकनात्। जीवितेच्छा बुभुक्षा च बुभुत्सोपशमं गताः॥९- २॥

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kasyāpi tāta dhanyasya lokaceṣṭāvalokanāt, jīvitecchā bubhukṣā ca bubhutsopaśamaṃ gatāḥ

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हे पुत्र! इस संसार की (व्यर्थ) चेष्टा को देख कर किसी धन्य पुरुष की ही जीने की इच्छा, भोगों के उपभोग की इच्छा और भोजन की इच्छा  शांत हो पाती है॥

Hindi Translation

O Son! Blessed and rare are those who observe the useless efforts of others and thereby extinguish their lust for life, luxuries and good food . 

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः