कुत्रापि खेदः कायस्य जिह्वा कुत्रापि खेद्यते। मनः कुत्रापि तत्त्यक्त्वा पुरुषार्थे स्थितः सुखम्॥१३- २॥
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kutrāpi khedaḥ kāyasya jihvā kutrāpi khedyate, manaḥ kutrāpi tattyaktvā puruṣārthe sthitaḥ sukham
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शारीरिक दुःख भी कहाँ(अर्थात ् नहीं) हैं, वाणी के दुःख भी कहाँ हैं, वहाँ मन भी कहाँ है, सभी प्रयत्नों को त्याग कर सभी स्थितियों में, मैं सुखपूर्वक विद्यमान हूँ ॥
Hindi Translation
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Actually, there exist no pain due to body, no pain due to speech , no pain due to mind. Abandoning all the efforts, I exist pleasantly in all situations.
English Translation
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