जनक उवाच - क्व भूतानि क्व देहो वा क्वेन्द्रियाणि क्व वा मनः। क्व शून्यं क्व च नैराश्यं मत्स्वरूपे निरंजने॥२०-१॥
Change Bhasha
janaka uvāca - kva bhūtāni kva deho vā kvendriyāṇi kva vā manaḥ| kva śūnyaṃ kva ca nairāśyaṃ matsvarūpe niraṃjane||20-1||
0
राजा जनक कहते हैं - मेरे निष्कलंक स्वरुप में पाँच महाभूत कहाँ हैं या शरीर कहाँ है और इन्द्रियाँ या मन कहाँ हैं, शून्य कहाँ है और निराशा कहाँ है ॥
Hindi Translation
…
King Janak says: In stainless Self, there are no five matter-elements or body, no sense organs or mind, no emptiness or despair.
English Translation
…