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क्व धैर्यं क्व विवेकित्वं क्व निरातंकतापि वा। अनिर्वाच्यस्वभावस्य निःस्वभावस्य योगिनः॥१८- ७९॥

Change Bhasha

kva dhairyaṃ kva vivekitvaṃ kva nirātaṃkatāpi vā, anirvācyasvabhāvasya niḥsvabhāvasya yoginaḥ

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योगी को धैर्य कहाँ, विवेक कहाँ और निर्भयता भी कहाँ? उसका स्वभाव अनिर्वचनीय है और वह वस्तुतः स्वभाव रहित है ॥

Hindi Translation

There is neither fortitude, prudence nor courage for the yogi whose nature is beyond description and free of individuality . 

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः