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क्व निरोधो विमूढस्य यो निर्बन्धं करोति वै। स्वारामस्यैव धीरस्य सर्वदासावकृत्रिमः॥१८- ४१॥

Change Bhasha

kva nirodho vimūḍhasya yo nirbandhaṃ karoti vai, svārāmasyaiva dhīrasya sarvadāsāvakṛtrimaḥ

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जो आग्रह करता है, उस मूर्ख का चित्त निरुद्ध कहाँ है?  आत्मा में रमण करने वाले धीर पुरुष का चित्त तो सदैव स्वाभाविक रूप से निरुद्ध ही रहता है ॥

Hindi Translation

How can there be cessation of thought for the misguided who is striving for it. Yet it is there always naturally for the wise man delighted in self . 

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः