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क्व संसारः क्व चाभासः क्व साध्यं क्व च साधनं। आकाशस्येव धीरस्य निर्विकल्पस्य सर्वदा॥१८- ६६॥

Change Bhasha

kva saṃsāraḥ kva cābhāsaḥ kva sādhyaṃ kva ca sādhanaṃ, ākāśasyeva dhīrasya nirvikalpasya sarvadā

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धीर पुरुष सदा आकाश के समान निर्विकल्प रहता है । उसकी दृष्टि में संसार कहाँ और उसकी प्रतीति कहाँ? उसके लिए साध्य क्या और साधन क्या?

Hindi Translation

There is no man subject to samsara , sense of individuality, goal or means to the goal for the wise man who is always free from imaginations, and unchanging as space .

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः