क्व स्वप्नः क्व सुषुप्तिर्वा क्व च जागरणं तथा। क्व तुरियं भयं वापि स्वमहिम्नि स्थितस्य मे॥१९- ५॥
Change Bhasha
kva svapnaḥ kva suṣuptirvā kva ca jāgaraṇaṃ tathā| kva turiyaṃ bhayaṃ vāpi svamahimni sthitasya me||19- 5||
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अपनी महिमा में स्थित मेरे लिए क्या स्वप्न है और क्या सुषुप्ति तथा क्या जागरण है और क्या तुरीय अवस्था है अथवा क्या भय ही है ?
Hindi Translation
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There are no states as dreams or sleep or waking. There is no fourth state 'Turiya' beyond these, and no fear f or me , who is established in Self .
English Translation
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