मुक्तो यथास्थितिस्वस्थः कृतकर्तव्यनिर्वृतः। समः सर्वत्र वैतृष्ण्यान्न स्मरत्यकृतं कृतम्॥१८- ९८॥
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mukto yathāsthitisvasthaḥ kṛtakartavyanirvṛtaḥ, samaḥ sarvatra vaitṛṣṇyānna smaratyakṛtaṃ kṛtam
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धीर पुरुष सभी स्थितियों में अपने स्वरुप में स्थित रहता है । कर्तव्य रहित होने से शांत होता है । सदा समान रहता है । तृष्णा रहित होने के कारण वह क्या किया और क्या नहीं - इन बातों का स्मरण नहीं करता ॥
Hindi Translation
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A man with tranquil mind remains established in his self. Being without any duty, he is at peace. He is always the same.As he is without greed, he does not recall what he has done or not done .
English Translation
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