न धावति जनाकीर्णं नारण्यं उपशान्तधीः। यथातथा यत्रतत्र सम एवावतिष्ठते॥१८- १००॥
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na dhāvati janākīrṇaṃ nāraṇyaṃ upaśāntadhīḥ, yathātathā yatratatra sama evāvatiṣṭhate
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शांत बुद्धि वाला धीर न तो जनसमूह की ओर दौड़ता है और न वन की ओर । वह जहाँ जिस स्थिति में होता है, वहां ही समचित्त से आसीन रहता है ॥
Hindi Translation
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A man at peace does not run off to popular resorts or to the forest. Wherever, he remains in whatever condition he exists with a tranquil mind.
English Translation
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