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न शान्तं स्तौति निष्कामो न दुष्टमपि निन्दति। समदुःखसुखस्तृप्तः किंचित् कृत्यं न पश्यति॥१८- ८२॥

Change Bhasha

na śāntaṃ stauti niṣkāmo na duṣṭamapi nindati, samaduḥkhasukhastṛptaḥ kiṃcit kṛtyaṃ na paśyati

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धीर पुरुष न संत की स्तुति करता है और न दुष्ट की निंदा । वह सुख-दुख में समान, स्वयं में तृप्त रहता है । वह अपने लिए कोई भी कर्तव्य नहीं देखता ॥

Hindi Translation

The dispassionate does not praise the good or blame the wicked. Content and equal in pain and pleasure, he sees nothing that needs doing .

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः