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न स्वर्गो नैव नरको जीवन्मुक्तिर्न चैव हि। बहुनात्र किमुक्तेन योगदृष्ट्या न किंचन॥१८- ८०॥

Change Bhasha

na svargo naiva narako jīvanmuktirna caiva hi, bahunātra kimuktena yogadṛṣṭyā na kiṃcana

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योगी के लिए न स्वर्ग है, न नरक और न जीवन्मुक्ति ही । इस सम्बन्ध में अधिक कहने से क्या लाभ है  योग की दृष्टि से कुछ भी नहीं है ॥

Hindi Translation

There is neither heaven nor hell nor even liberation during life. In a nutshell, in the sight of the seer nothing exists at all .

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः