न विक्षेपो न चैकाग्र्यं नातिबोधो न मूढता। न सुखं न च वा दुःखं उपशान्तस्य योगिनः॥१८- १०॥
Change Bhasha
na vikṣepo na caikāgryaṃ nātibodho na mūḍhatā, na sukhaṃ na ca vā duḥkhaṃ upaśāntasya yoginaḥ
0
अपने स्वरुप में स्थित होकर शांत हुए तत्त्व ज्ञानी के लिए न विक्षेप है और न एकाग्रता, न ज्ञान है और न अज्ञान, न सुख है और न दुःख ॥
Hindi Translation
…
For the yogi who has found peace, there is no distraction or one-pointedness, no higher knowledge or ignorance, no pleasure and no pain .
English Translation
…