स एव धन्य आत्मज्ञः सर्वभावेषु यः समः। पश्यन् शृण्वन् स्पृशन् जिघ्रन्न् अश्नन्निस्तर्षमानसः॥१८- ६५॥
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sa eva dhanya ātmajñaḥ sarvabhāveṣu yaḥ samaḥ, paśyan śṛṇvan spṛśan jighrann aśnannistarṣamānasaḥ
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वह आत्मज्ञानी धन्य है जो सभी स्थितियों में समान रहता है । देखते, सुनते, छूते, सूंघते और खाते-पीते भी उसका मन कामना रहित होता है ॥
Hindi Translation
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Blessed is he who knows himself and is the same in all states, with a mind free from craving whether he is seeing, hearing, feeling, smelling or tasting .
English Translation
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