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सर्वत्रानवधानस्य न किंचिद् वासना हृदि। मुक्तात्मनो वितृप्तस्य तुलना केन जायते॥१८- ८९॥

Change Bhasha

sarvatrānavadhānasya na kiṃcid vāsanā hṛdi, muktātmano vitṛptasya tulanā kena jāyate

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जो इस दृश्य प्रपंच पर ध्यान नहीं देता, आत्म तृप्त है, जिसके ह्रदय में जरा सी भी कामना नहीं होती - ऐसे मुक्तात्मा की तुलना किसके साथ की जा सकती है ॥

Hindi Translation

Who can compare with that contented, liberated soul who pays no regard to anything and has no desire left in his heart ? 

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः