शुद्धं बुद्धं प्रियं पूर्णं निष्प्रपंचं निरामयं। आत्मानं तं न जानन्ति तत्राभ्यासपरा जनाः॥१८- ३५॥
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śuddhaṃ buddhaṃ priyaṃ pūrṇaṃ niṣprapaṃcaṃ nirāmayaṃ, ātmānaṃ taṃ na jānanti tatrābhyāsaparā janāḥ
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आत्मा के सम्बन्ध में जो लोग अभ्यास में लग रहे हैं, वे अपने शुद्ध, बुद्ध, प्रिय, पूर्ण, निष्प्रपंच और निरामय ब्रह्म-स्वरूप को नहीं जानते ॥
Hindi Translation
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People cannot come to know themselves by practices - pure awareness, clear, complete, beyond multiplicity and faultless though they are .
English Translation
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