शुद्धस्फुरणरूपस्य दृश्यभावमपश्यतः। क्व विधिः क्व वैराग्यं क्व त्यागः क्व शमोऽपि वा॥१८- ७१॥
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śuddhasphuraṇarūpasya dṛśyabhāvamapaśyataḥ, kva vidhiḥ kva vairāgyaṃ kva tyāgaḥ kva śamoʼpi vā
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जो शुद्ध स्फुरण रूप है, जिसे दृश्य सत्तावान नहीं मालूम पड़ता, उसके लिए विधि क्या, वैराग्य क्या, त्याग क्या और शांति भी क्या ॥
Hindi Translation
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There are no rules, dispassion, renunciation or meditation for one who is pure receptivity by nature, and admits no knowable form of being ?
English Translation
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