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brah.ma
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ततः क्षीयते प्रकाशावरणम् ॥ २.५२॥

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tataḥ kṣīyate prakāśāvaraṇam

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चित्त को अपने स्वभाव से ही सारा ज्ञान है। यह सत्त्वगुणों का बना होता है, पर रजस और तामस कणों से आच्छादित रहता है और प्राणायाम द्वारा यह आवरण हट जाता है।

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः