तत्त्वं यथार्थमाकर्ण्य मन्दः प्राप्नोति मूढतां। अथवा याति संकोचम- मूढः कोऽपि मूढवत्॥१८- ३२॥
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tattvaṃ yathārthamākarṇya mandaḥ prāpnoti mūḍhatāṃ, athavā yāti saṃkocama- mūḍhaḥ koʼpi mūḍhavat
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अविवेकी पुरुष यथार्थ तत्त्व का वर्णन सुनकर और अधिक मोह को प्राप्त होता है या संकुचित हो जाता है । कभी-कभी तो कुछ बुद्धिमान भी उसी अविवेकी के समान व्यवहार करने लगते हैं ॥
Hindi Translation
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A stupid man is bewildered when he hears the real truth, while even a clever man is humbled by it just like the fool .
English Translation
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