तुष्टिः सर्वत्र धीरस्य यथापतितवर्तिनः। स्वच्छन्दं चरतो देशान् यत्रस्तमितशायिनः॥१८- ८५॥
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tuṣṭiḥ sarvatra dhīrasya yathāpatitavartinaḥ, svacchandaṃ carato deśān yatrastamitaśāyinaḥ
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जहाँ सूर्यास्त हुआ वहां सो लिया, जहाँ इच्छा हुई वहां रह लिया, जो सामने आया उसी के अनुसार व्यवहार कर लिया । इस प्रकार धीर सर्वत्र संतुष्ट रहता है ॥
Hindi Translation
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Peace is everywhere for the wise man who lives on whatever happens to come to him, going to wherever he feels like, and sleeping wherever the sun happens to set .
English Translation
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