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वस्तुश्रवणमात्रेण शुद्धबुद्धिर्निराकुलः। नैवाचारमनाचार- मौदास्यं वा प्रपश्यति॥१८- ४८॥

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vastuśravaṇamātreṇa śuddhabuddhirnirākulaḥ, naivācāramanācāra- maudāsyaṃ vā prapaśyati

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शुद्ध-बुद्धि पुरुष वस्तु-तत्त्व के केवल सुनने मात्र से आकुलता रहित हो जाता है, फिर आचार-अनाचार या उदासीनता पर उसकी दृष्टि नहीं जाती ॥

Hindi Translation

He whose mind is pure and undistracted from the simple hearing of the Truth sees neither something to do nor something to avoid nor a cause for indifference .

English Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः