विक्षेपेऽपि न विक्षिप्तः समाधौ न समाधिमान्। जाड्येऽपि न जडो धन्यः पाण्डित्येऽपि न पण्डितः॥१८- ९७॥
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vikṣepeʼpi na vikṣiptaḥ samādhau na samādhimān, jāḍyeʼpi na jaḍo dhanyaḥ pāṇḍityeʼpi na paṇḍitaḥ
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धीर पुरुष विक्षेप में विक्षिप्त नहीं होता, समाधि में समाधिस्थ नहीं होता । उसकी लौकिक जड़ता में वह जड़ नहीं है और पांडित्य में पंडित नहीं है ॥
Hindi Translation
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A man with tranquil mind does n ot get distracted by disturbances, in meditation he does not meditate. A blessed man neither gains stupidity by his worldly acts, nor does he gets wisdom .
English Translation
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